सोनू सूद जो आज दूसरों की तकलीफ में उनके साथ खड़े हुए हैं उनके बारे में कम ही लोग ये बात जानते हैं कि जब वह मुंबई आए थे तो उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. सोनू ने एक इंटरव्यू में बताया कि लोग उनसे मिलना नहीं चाहते थे, उन्हें डिमोटिवेट करते थे.
बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद इन दिनों हर तरफ चर्चा का विषय बने हुए हैं. लॉकडाउन में एक तरफ जहां प्रवासी मजदूर हजारों मील पैदल चलकर अपने घर जाने के लिए मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ सोनू सूद ऐसे लोगों की मदद के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. सोनू सूद लगातार बसों का इंतजाम कर रहे हैं जिनके जरिए वो मुंबई में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक भेज रहे हैं. सोनू सूद देखते ही देखते लोगों के रियल लाइफ हीरो बन गए हैं. बिहार के सीवान में तो उनका स्टैच्यू बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
सोनू सूद जो आज दूसरों की तकलीफ में उनके साथ खड़े हुए हैं उनके बारे में कम ही लोग ये बात जानते हैं कि जब वे मुंबई आए थे तो उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. सोनू ने एक इंटरव्यू में बताया कि लोग उनसे मिलना नहीं चाहते थे, उन्हें डिमोटिवेट करते थे. आज वो जब उन चीजों को याद करते हैं तो उन्हें पुराना वक्त याद आता है. सोनू ने बताया कि यही वजह है कि वह हर किसी से मिलते हैं और अगर उसमें हुनर नहीं भी है तो उसे डिमोटिवेट नहीं करते. वो मानते हैं कि इंसान अपनी लाइफ और अपने फैसले खुद तय करता है.
सोनू सूद के बारे में शायद ही आपको पता हो कि उन्होंने अपनी पहली बड़ी फिल्म की रिलीज से पहले ही अपनी मां को खो दिया था. सोनू ने एक इंटरव्यू में बताया, "मेरी मां हमेशा मेरी प्रेरणा रही हैं. वो हमेशा मुझे प्रेरित करती थीं कि मैं अपने लक्ष्य तक पहुंचूं. उन्हें हमेशा लगता था कि कुछ फिल्में आएंगी सोनू की जिंदगी में जो बहुत अहम होंगी. जोधा अकबर वो फिल्म थी जिसके लिए वो बहुत एक्साइटेड थीं. लेकिन शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था."
इस बात का रहा अफसोस
- सोनू सूद ने बताया कि जोधा अकबर के बाद उन्हें और भी बड़ी फिल्में मिलीं. नाम मिला शोहरत मिली लेकिन उन्हें हमेशा इस बात का मलाल रहा कि जिसके लिए उन्होंने इतनी मेहनत की और जो हमेशा से उन्हें कामयाबी के उस मुकाम पर देखना चाहती थीं उनकी वो मां सोनू को ये सब करते हुए नहीं देख पाईं.
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