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Wednesday 27 May 2020

जैसी करनी वैसी भरनी कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story

जैसी करनी वैसी भरनी – ऊंट और सियार की कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story-1

Camel and Jackal Story in Hindi for Kids – एक जंगल में ऊंट और सियार रहते थे। उस जंगल के पास ही खरबूजों का खेत था लेकिन खेत और जंगल के बींच में एक नदी पड़ती थी। एक दिन दोनों ने सोचा कि आज नदी पार खेत में खरबूज खाने चलते हैं। दोनों ने एक दुसरे से सलाह मिला ली और खरबूज के खेत की ओर चल पड़े। जैसे ही नदी के पास पहुंचे सियार बोला ऊंट भाई तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो तो मैं भी नदी पार कर लूँगा। ऊंट ने सियार को अपनी पीठ पर बिठा लिया और थोड़ी ही देर में खेत में पहुँच गए।
जैसे ही वो खेत में पहुंचे तो उन्हें बड़े ही मीठे-मीठे खरबूज खाने को मिले। दोनों खरबूज खाने में जुट गए लेकिन थोड़ी ही देर बाद सियार का पेट भर गया और वह अजीबोगरीब आवाज़े निकालने लगा। यह देख ऊंट ने उसे ऐसा करने के लिए मना किया लेकिन सियार ने उसकी एक न सूनी और बोला ऊंट भाई खाने के बाद मैं ऐसा जरुर करता हूँ। मुझे तो हुकहुकी आ रही हैं। ऊंट ने कहा अगर तुम ऐसे ही करते रहोगे तो खेत का मालिक आ जायेगा और हमारी पिटाई केर देगा लेकिन सियार फिर भी चुप नही हुआ और ऐसे ही करता रहा।
सियार की आवाज़ सुन खेत का मालिक आ गया। खेत के मालिक को आता देख सियार तो झाड़ियों के पीछे छुप गया और ऊंट बेचारा पिट गया। अब जब सियार और ऊंट की जंगल वापस जाने की बात आई तो सियार ऊंट के पास आया और ऊंट से बोला कि भाई तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो। ऊंट को भी अपना बदला लेने का मौका मिल गया। उसने सियार को अपनी पीठ पर बिठा लिया।
जब ऊंट नदी के बीचों बीच पहुँच गया तो बोला यार मुझे तो लुटलुटी आ रही हैं। खाना खाने के बाद में लेटता जरुर हूँ। जैसे ही ऊंट बैठने को हुआ तो सियार ने उससे कहा अगर तुम बैठ जाओगे तो मैं तो डूब ही जाऊंगा। बस थोड़ी देर रुक जाओ। अब ऊंट की बारी थी इसलिए उसने भी सियार कि एक न सुनी और नदी में बैठ गया। जैसे ही ऊंट बैठा सियार नदी में डूब गया और मर गया।
सीख – इसलिए बड़े-बूढ़े लोग कहते हैं, हमें सब के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि हम जैसा करेंगे वैसा ही हमें मिलेगा। मतलब जैसी करनी वैसी भरनी।

जैसी करनी वैसी भरनी – सेठ और चोर की कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story-2

एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता वे ,उसे मना नहीं करते थे । सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ?
इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?
जो लोग ईमानदार होते वो कहते – सेठ जी, हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे
और कुछ लोग जो ज्यादा चालक व बेईमान होते वे कहते -सेठ जी ! हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते कि क्या मूर्ख सेठ है । अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है ।
ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था । जो जैसा कह देता मुनीम वैसा ही बही में लिख लेता ।
एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार मांगने पहुँचा । उसे भी मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है । हालांकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजोरी को देखना था । चोर ने सेठ से कुछ रुपये उधार मांगे, सेठ ने मुनीम को बुलाकर उधार देने को कहा ।
मुनीम ने चोर से पूछा – भाई ! इस जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में ?
चोर ने कहा – मुनीम जी ! मैं यह रकम अगले जन्म में लौटाऊँगा । मुनीम ने तिजोरी खोलकर पैसे उसे दे दिए ।
चोर ने भी तिजोरी देख ली और तय कर लिया कि इस मूर्ख सेठ की तिजोरी आज रात में उड़ा दूँगा । वो रात में ही सेठ के घर पहुँच गया और वहीं भैंसों के तबेले में छिपकर सेठ के सोने का इन्तजार करने लगा । अचानक चोर ने सुना कि भैंसे आपस में बातें कर रही हैं और वह चोर भैंसों की भाषा ठीक से समझ पा रहा है ।
एक भैंस ने दूसरी से पूछा – तुम तो आज ही आई हो न, बहन !
उस भैंस ने जवाब दिया – हाँ, आज ही सेठ के तबेले में आई हूँ, सेठ जी का पिछले जन्म का कर्ज़ उतारना है और तुम कब से यहाँ हो ?
उस भैंस ने पलटकर पूछा तो पहले वाली भैंस ने बताया – मुझे तो तीन साल हो गए हैं, बहन ! मैंने सेठ जी से कर्ज़ लिया था यह कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी । सेठ से उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में चली आयी । अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार रही हूँ । जब तक कर्ज़ की रकम पूरी नहीं हो जाती तब तक यहीं रहना होगा ।
चोर ने जब उन भैंसों की बातें सुनी तो होश उड़ गए और वहाँ बंधी भैंसों की ओर देखने लगा । वो समझ गया कि उधार चुकाना ही पड़ता है, चाहे इस जन्म में या फिर अगले जन्म में उसे चुकाना ही होगा । वह उल्टे पाँव सेठ के घर की ओर भागा और जो कर्ज़ उसने लिया था उसे फटाफट मुनीम को लौटाकर रजिस्टर से अपना नाम कटवा लिया ।
हम सब इस दुनिया में इसलिए आते हैं क्योंकि हमें किसी से लेना होता है तो किसी का देना होता है । इस तरह से प्रत्येक को कुछ न कुछ लेने देने के हिसाब चुकाने होते हैं ।

जैसी करनी वैसी भरनी – पंडित जी और चोर की कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story-3

एक पंडित जी थे जो की बहुत ही धार्मिक प्रवित्ति के थे और वे शहर के मंदिर में रहा करते थे वे अक्सर लोगो को ज्ञान की बाते बताया करते थे और जो भी मन्दिर आता पंडितजी उसे जरुर कहते है जो जैसा बोयेगा वो वैसा ही काटेगा सबको अपने कर्मो का फल यही भोगना पड़ता है जिसके कारण वहां के लोगो को पंडितजी पर बहुत विश्वास था और सभी लोग पंडितजी के बहुत आदर करते थे जिसके कारण पंडितजी के ज्ञान की प्रषिद्धि दूर दूर तक फ़ैल गयी थी
पंडितजी के ज्ञान की बाते दूर रहने वाले एक गाव में तीन चोरो को भी पता चला तो वे तीनो चोर पंडितजी के बातो से सहमत नही थे उन चोरो ने मन बनाया की क्यू न पंडितजी से मिला जाय और उनकी बातो को झूठा सिद्ध किया जाय
ऐसा सोचकर वे तीनो चोर भेष बदलकर उस मन्दिर में पहुच गये जहा पर उन चोरो ने पंडितजी को देखा तो उन चोरो ने पंडितजी को प्रणाम करके उनसे ज्ञान की बाते बताने को कहा तो हर बार की तरह पंडितजी ने बताया की जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा अर्थात जिसकी जैसी करनी होगी उसकी वैसे भरनी होगी तो यह बात सुनकर तीनो चोर एक बार फिर से पंडितजी से असहमत हो गये और उन चोरो ने कहा की ये कैसे हो सकता है की जो जैसा करता है उसे वैसा भरना पड़ता है क्यूकी इस समाज में अनेक ऐसे लोग भी है लोगो का मुफ्त के धन पर ऐश कर रहे है फिर उन्हें तो कोई कष्ट नही हुआ और ऐसे लोग तो मजे से अपनी जिदगी जी रहे है
लेकिन पंडितजी अपने बातो पर अडिग रहे और बोले आप लोग अगर मेरे साथ कुछ दिन साथ में रहोगे तो इस बात को सिद्ध कर दूंगा तो तीनो चोर हसीख़ुशी पंडितजी के साथ कुछ दिनों के लिए रहने को तैयार हो गये
तो इसके बाद पंडितजी ने मन्दिर के पीछे खाली पड़े खेत को तीन हिस्सों में बाट दिया और बोला आज से आपलोग इस खेतो में खेती करेगे और जैसा मै कहूँगा वैसा ही आप लोग करना तो तीनो चोरो ने हामी भर दी
इसके बाद पंडितजी ने तीनो चोरो को खेती करने के सारे नियम उन चोरो को बता दिए फिर इसके बाद वे तीनो चोर अपने खेतो में खेती करने जुट गये
एक चोर अपने खेतो में खूब मेहनत करता और कोई समस्या होती तो पंडितजी से सहायता लेता और इस प्रकार वह एक अच्छे किसान की तरह अपने खेतो में खूब अच्छी फसल लगा दिया
इसी तरह दूसरा चोर भी अपने खेतो में थोडा कम मेहनत करता था और किसी तरह उसने भी अपने खेतो में फसल लगा दिया जबकि तीसरा चोर तो अपने खेतो में थोडा सा भी मेहनत नही करता था और सब खेतो में थोड़े से मेहनत करके किसी तरह बीज को बो दिया
और कुछ महीनो पश्चात जब तीनो चोरो की फसल तैयार होने का समय आ गया पंडितजी बोले चलो अब मै आप लोगो के फसल को देखूगा की किसकी फसल कैसी हुई है
इसके बाद पंडितजी जब खेत पर पहुचे तो देखा की पहले वाले चोर की फसल काफी अच्छी लगी है जबकि दुसरे वाले चोर की फसल थोडा कम लगी है और तीसरे वाले चोर के खेत में नाम मात्र के खेत में कही कही फसल लगे हुए है
जिसको देखकर पंडितजी ने उन तीनो चोरो से कहा देखो जो जैसा किया है उसकी वैसी फसल लगी हुई है अर्थात जिसने अपने खेत में जितना अच्छा काम किया है उसकी फसल सबसे अच्छी लगी हुई है इस प्रकार आप तीनो लोग समझ सकते हो की जो जैसा और जितना मेहनत करेगा उसे वैसा ही उतना अपने मेहनत का फल यानि उसकी फसल तैयार होगी यानि अब आप लोगो ने जैसा बोया है वैसा ही अब आप लोग अपना फसल काट सकते हो
पंडितजी की ये बाते सुनकर उन दोनों चोरो को समझ में आ गया की पंडितजी सही कह रहे है जबकि तीसरा वाला चोर बोल पड़ा की पंडितजी आप ही बताईये की खेती करना मुझे नही आता है इसलिए मेरी फसल अच्छी नही हुई होगी लेकिन पहले मै चोर था खूब चोरी किया और हमेसा खुशहाल रहा कभी मुझे अपने गलत कामो के लिये कोई सजा नही मिली
तो पंडितजी ने उसे समझाते हुए कहा की हो सकता है तुम्हे अभी तक अपनी गलतियों की सजा न मिली हो लेकिन इस बात को भी मत भूलना चाहिए की जब यदि कभी तुम पकड़े जाते तो हर बार की गलती की सजा एक ही बार में मिल जाती तो तुम क्या कर सकते हो
इन्सान अपनी गलत कामो की वजह से बार बार बाख सकता है लेकिन जब उसके बुरे दिन आयेगे तो फिर कोई बचाने वाला नही मिलेगा
पंडितजी की ये बाते सुनकर उस चोर की आखे खुल गयी और तुरंत पंडितजी के पैरो में गिर पड़ा और अपनी गलती मान ली इसके बाद तीनो चोरो ने चोरी छोड़ देने के साथ ही पंडितजी के साथ रहने को तैयार हो गये और फिर वे पंडितजी के सच्चे सेवक बन गये
सीख – तो देखा दोस्तों उन चोरो की तरह हमे भी अपने जीवन में ये कभी कभी महसूस होता है की हम जो करते है वो हमेसा सही होता है और हमे लगने लगता है हम सभी चीजे सही कर रहे है इसलिए हमारा कोई कुछ नही बिगाड सकता है
इसलिए जैसा की कहा भी गया है – जैसी करनी वैसी भरनी

जैसी करनी वैसी भरनी – किसान और दूकानदार की कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story-4

एक बार क़ी बात हैं एक गांव में एक़ किसान था जो कि दुध से दहीं व और मख्खन बनाकर उसे बेचकर घर चलाता था एक दिन उसकी पत्नी ने उसे मख्खन तैयार कर के दिया वो उसे बेंचने के लिये अपने गांव से शहर की तरफ़ रवाना हो गया ।
वो मख्खन गोल-मोल पेडो की शकल् में बना हुआ था और हर पेडे का वजन एक किलोग्राम था |
शहर में किसान ने उस मख्खन को रोज़ की तरह एक दूकानदार को बैच दिया, और दूकानदार से चायपती, चीनी, तेल और साबून आदि ख़रीदकर वापस अपने गांव जाने के लिये रवाना हो गया ।
दूकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा, – तू यहाँ से चला जा, ऐसी बेईमानी, किसी बेइमान और धोखेबाज इंसान से करना । मुझसे नही, 900 ग्राम मख्खन को पूरा एक़ किलो (1.KG) कह-क़र बेचने वाले शख़्स क़ी वो शक़्ल भी देखना नहीं चाहता ।
उस किसान के जाने के बाद उस दूकानदार ने मख्खन क़ो फ्रीज में रखना शुरू किया और उसे अचानक ख़याल आया की क्यों ना इनमें से एक़ पेढ़े का वजन चेक किया जाए, वजन तोलने पर पेढ़ा सिर्फ़ 900 ग्राम का निकला हेरत और निराषा से उसने सारें पेढ़े तोल डालें मग़र किसान के लाए हुए सभी पेडे 900-900 ग्राम के ही निकलें।
ठीक अगले हफ़्ते फ़िर किसान हमेशा की तरह मख्खन लेकर जैसे ही दूकानदार क़ी दुकान पर पहुँचा
किसान ने बडी ही विनम्रता से दूकानदार से कहा “मे्रे भाई मूझसे गुस्सा ना हो हम तो ग़रीब लोग है,
हमारे पास सामान तोलने के लिए वजन (बाट) ख़रीदने की हेसियत कहां” आपसे जो एक़ किलो चिनी लेकर जाता हूं उसी क़ो तराज़ू के एक़ पलडें मे रख-क़र दुसरें पलडें मे उतने ही वजन का मख्खन तोलकर ले आता हूं।
Moral (सीख): जो हम दूसरों को देंगे, वही लौट क़र आयेगा…
फ़िर चाहे वो ईज्जत, सम्मान हो, या फ़िर धोखा !!!
हम जो देतें हैं बदले में हमें वही मिल जाता हैं यही इस संसार का नियम हैं

जैसी करनी वैसी भरनी – धूर्त मेंढक और चूहे की कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story-6

एक बार की बात है कि एक चूहे और मेंढक में गहरी दोस्ती थी| उन दोनों ने जीवन भर एक दूसरे से मित्रता निभाने का वादा किया लेकिन चूहा तो ज़मीन पर रहता था और मेंढक पानी में|
उन्होंने एक दूसरे के साथ रहने की एक तरकीब निकाली| दोनों ने एक रस्सी से खुद को बाँध लिया ताकि हर जगह हम एक साथ जाएँगे और सारे सुख दुख एक साथ भोगेंगे|
जब तक दोनों ज़मीन पर रहे, तब तक तो सब कुछ अच्छा चल रहा था| अचानक मेंढक को एक शरारत सूझी और उसने पास के ही एक तालाब में छलाँग लगा दी| बस फिर क्या था रस्सी से बँधे होने के कारण चूहा भी पानी में गिर गया|
अब चूहा बहुत परेशान था, वह डूब रहा था और बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था| लेकिन मेंढक धूर्त था उसने अपने मित्र चूहे को नज़रअंदाज़ करते हुए टरटरते हुए ज़ोर ज़ोर से तैरना शुरू कर दिया|
अब तो चूहे की जान ही निकल गयी वह बड़ी मुश्किल से मेंढक को तालाब के किनारे तक खींच कर लाया|
जैसे ही दोनों ने ज़मीन पर पैर रखा अचानक एक चील आई और चूहे को झपट कर उड़ने लगी अब रस्सी से बँधे होने के कारण मेढक भी पंजे में आ गया उसने छूटने का बहुत प्रयास किया लेकिन रस्सी को तोड़ ना सका और अंत में दोनों को चील ने खा लिया|
अब तो चूहे के साथ मेंढक भी बेमौत मारा गया|
इसीलिए कहा जाता है की जो लोग दूसरों का बुरा करते हैं उसके साथ वह भी गड्ढे में गिरते हैं, तो जैसी करनी वैसी भरनी|

जैसी करनी वैसी भरनी – किसान और बेकर की कहानी Jaisi karni vaisi Bharni Hindi Story-7

एक पुराने समय की बात है… केक ब्रेड बनाने वाले बेकर मैं एक किसान से आधा किलो मक्खन खरीदा।
बेकर लालची और कंजूस किस्म का व्यक्ति था इसलिए जब है मक्खन लेकर घर पहुंचा तो उसके मन में आया कि कहीं किसान ने उसे कम मक्खन तो नहीं दे दिया।
इसलिए उसने मक्खन को तोल कर देखा तो उसने पाया कि मक्खन आधा किलो से कुछ कम है यह देखकर वह आग बबूला हो गया और किसान को सबक सिखाने की सोची…
उसने मक्खन को सहेज कर रखा और अदालत में न्याय पाने के लिए पहुंच गया। किसान को भी अदालत में बुलाया गया था।
जज ने किसान से पूछा कि क्या तुम वजन मापने के लिए किसी चीज का इस्तेमाल करते हो ?
किसान ने साफ शब्दों में कहा, ‘नहीं हजूर। हमें बांटो से वजन करना नहीं आता है हम तो एक चीज के वजन के आधार पर दूसरी चीज का वजन करते है।
जज ने पूछा, ‘क्या मतलब’?
किसान बोला, ‘हजूर, बेकर बहुत समय से मेरे पास मक्खन खरीदने आता रहा है यह मुझसे मक्खन ले जाता है और और एक पैमाने में वजन नाप कर उतने ही वजन कि मुझे ब्रेड दे जाता है।
यदि मेरे द्वारा दिया गया मक्खन आधा किलो से कम है तो इसके लिए मैं या मेरा मापक जिम्मेदार नहीं है बल्कि यह बेकर खुद जिम्मेदार है।
क्योंकि इसलिए मुझे पहले ब्रेड का वजन कम करके दिया जिसके जवाब में मक्खन का वजन भी कम हो गया।
Moral of This Story Hindi शिक्षा – जो जैसा कार्य करेगा उसे वैसा ही फल मिलेगा।
ज्ञान – अधिकतर लोग सोचते हैं कि हम दूसरों के साथ छल कपट करेंगे तो हमें फायदा होगा और हम कभी पकड़े नहीं जाएंगे लेकिन आपके द्वारा किए गए कर्म जीवन में लौटकर दोबारा आपके पास ही आते है।

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